सन्तान को धनवान नहीं संस्कारवान बनायें : मनु जी महाराज
कलवारी, बस्ती। रामकथा जीवन की हर ब्यथा मिटा देती है। इसके श्रवण व अनुकरण से मानव जीवन संवर जाता है। राम के चरित्र का कोटिवां अंश जीवन मे उतारा जाय तो कुबिचार का अंधकार मिट जाता है और अच्छे बिचार जागृत हो जाते है। जिससे मानव का जीवन धन्य हो जाता है।
यह सदबिचार अवधध़ाम से पधारे मानस मर्मज्ञ मनु जी महाराज ने श्रीराम बिवाह के अवसर पर सोमेश्वर नाथ महादेव मन्दिर पाऊं मे चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के सातवें दिन ब्यास पीठ से प्रवचन सत्र के दौरान ब्यक्त किया।
उन्होने नामकरण से लेकर राम बिबाह की कथा को विस्तार देते हुए कहा कि मनुष्य को अपने संतान को धनवान नहीं संस्कारवान बनाना चाहिए। संस्कारवान ब्यक्ति के जीवन में कभी सम्पत्ति की कमी नहीं आ सकती। संतान को नामकरण से ही संस्कार की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए नामकरण हमेशा श्रेष्ठ ब्यक्ति से ही कराना चाहिए। क्योंकि जीवन में नाम का बड़ा प्रभाव पड़ता है। महाराज दशरथ ने भी अपने पुत्रों का नामकरण कुलगुरु बशिष्ठ द्वारा कराया। और उन्होंने भगवान् को समय समय पर सोलह संस्कारों से सुसज्जित किया। भगवान अहिल्या सहित तमाम भक्तों का उद्धार करते हुए जनकपुर पहुंचे। भगवान के सुन्दर स्वरूप का दर्शन कर जनकपुर वासी अपना जीवन धन्य कर रहे हैं। स्वयम्बर में भगवान ने शिव धनुष तोड़कर राजा जनक का संताप दूर किया। राम बिबाह के प्रसंग पर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा के साथ राम व जनक नन्दिनी का जयघोष किया।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, पंकज सोनी, सन्त रामदास पहलवान, श्याम सुन्दर दूबे, अमित दास, अनिल दूबे, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, पुनीत शुक्ल, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, दिनेश शुक्ल, अम्बिका दूबे, हजारी लाल भारती सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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