जगमगाते दीयों की रोशनी में धूमधाम से मनाई गई दीपावली, जमकर हुई आतिशबाजी
बस्ती। रोशनी का पर्व दीपावली देश भर में धूमधाम के साथ मनाई गई। कोरोना महामारी के खतरे के बाद भी चारो तरफ खुशियों का माहौल नज़र आया। देर रात तक लोग आतिशबाज़ी में व्यस्त रहे। इससे पहले घरों, दुकानों और दफ़्तरों को आकर्षक रंगीन लाइट्स से जगमग किया गया।
बस्ती के साथ पूरे प्रदेश में दीपावली को बड़े ही धूमधाम से गई। हालांकि इस बार की दीपावली हर साल के उत्सव काफी अलग रहा। इसके बावजूद लोगों में त्यौहार को लेकर भारी उत्साह और उमंग साफ देखा गया। परिवार के साथ मिलकर विधिवत पूजा अर्चना के बाद लोग एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली की शुभकामनाएं दी।
हर साल की तरह इस बार भी दीपावाली के इस ख़ास पर्व में बच्चों में ही नहीं बल्कि नौजवानों और बुजुर्गों में भी खासा उत्साह देखने को मिला। सभी ने देर रात तक जमकर आतिशबाजी की। अपने-अपने तरीके से घरों और प्रतिष्ठानों में की गई ख़ास सजावट भी देखने लायक रही। शनिवार की शाम को शुभ मुहूर्त में लोगों ने विधि विधान के साथ लक्ष्मी पूजन किया और फिर आतिशबाजी की। दीपावाली को देखते हुए बस्ती शहर समेत सभी ग्रामीण इलाकों के बाजारों व कस्बों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
डिजिटल दीपावली में पटाखों से दूरी
इस बार की दीपावली में युवा पटाखों के बजाए डिजिटल दीपावाली मनाते दिखे। प्रदेश सरकार की अपील के बाद लोग इस बार सिर्फ दीपकों के साथ ही दीपावली मना रहे हैं। चाइनीज झालर से भी लोगों ने दूरी बना कर रखी और पारंपरिक तरीके से दीपावली मना कर पर्यावरण को भी स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभाई।
घर पर ही रहकर मनाई दीपावली
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही तस्वीरों में लोग अपने परिवार के साथ दीपावली मनाई। घरों को सुन्दर तरीके से सजाया। कोरोना के कारण इस बार लोग घर से बाहर निकलने से परहेज किया। दोस्तों और रिश्तेदारों के बजाए परिवार के साथ ही दीपावली मनाई।
मिट्टी के दीपकों की धूम
प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद इस बार बाजार में मिट्टी से बनें दीयों की धूम रही है। लोगों ने इस बार चाइनीज सामानों के बजाए देश में बनी सामाग्री का ही खरीदते हुए दिखाई दिए।
सोशल साइट्स पर बधाई संदेश
एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला सोशल साइट्स पर भी चला। लोगों ने एसएमएस, व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल नेटवर्किंग माध्यमों के ज़रिये एक दूसरे को दीपावली की शुभकामनाएं की।
त्रेता युग से चली आ रही परम्परा
चौदह साल के वनवास के बाद राजा रामचंद्र के अपने राज्य अयोध्या वापस लौटने की खुशी में लोगों ने घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। कार्तिक मास की अमावस्या की उस काली रात श्रीराम के स्वागत में जले झिलमिलाते दीपों की रोशनी से पूरी अयोध्या जगमगा उठी थी। तभी से इस दिन को हिंदू धर्म में पूरे उत्साह से दीप जलाकर और पूजन करके मनाने की प्रथा शुरू हुई।
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