श्रीराम कथा कल्पवृक्ष के समान : मनुजी महराज

गायघाट, बस्ती। रामकथा हमे जीवन जीने की कला सिखाती है तो भागवत कथा हमे मोक्ष प्रदान करती है। श्रीराम कथा की सार्थकता तभी सिद्व होती है जब इसे हम अपने ब्यवहारिक जीवन में उतारते हैं। अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन मात्र बनकर रह जाती है। यह विचार ऐतिहासिक राम जानकी मार्ग के पाऊं कस्बा स्थित सोमेश्वर नाथ धाम शिव मंदिर परिसर में शाश्वत सेवा संस्थान के तत्वावधान में शारदीय नवरात्र के अवसर पर चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन अवध धाम से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक मनुजी महारज ने प्रवचन सत्र में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राम नाम में अति आनन्द मिलता है।
राम कथा के महात्मय का वर्णन करते हुए कहा कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी महाराज ने पहले गुरु की वन्दना के साथ समस्त जीवों कि वंदना की है। राम नाम से ही मनुष्य जन्म को भव सागर से पार लग सकता है। श्रीराम की कथा श्रवण से मन का शुद्विकरण तो होता ही है इससे संशय भी दूर हो जाता है और मन को शान्ती मिलती है। ईश्वर से सम्बंध जोड़कर हम हमेंशा के लिए उन्हें अपना सकते है। श्रीराम कथा कल्प बृक्ष के समान है। इस दौरान महाराज के द्वारा गाये गए भजनों पर श्रोता मंत्र मुग्ध होकर झूमत उठे।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, हनुमान गढ़ी अयोध्या के सन्त राम दास पहलवान, अमित दास, सतीश दास, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, पुनीत शुक्ल, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, हजारी लाल सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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