आजादी की लड़ाई में मिट गया था बस्ती जिले का महुआ डाबर गांव

(Basti News) बस्ती, यूपी। जिले के बहादुरपुर ब्लाक का महुआडाबर (Mahuadabar) गांव देश की आजादी की लड़ाई का गवाह है. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा दी थी. महुआडाबर गाँव के लोगों नें अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था. उनकी आवाज दबाने पहुंचे छह अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारने में महुआडाबर गांव के लोगों नें जरा सा भी हिचक नहीं किया. हालांकि इसकी उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी. अंग्रेजी सरकार ने पूरे महुआडाबर गांव के अस्तित्व को ही मिटा दिया. गांव की घेराबंदी कर आग के हवाले कर दिया गया। तमाम ग्रामीणों को हमेशा के लिए गांव से पलायन करना पड़ गया. महुआडाबर गांव में झाड़ियों के बीच खड़ा सिलापट आज भी इस गाँव के बहादुरी के इतिहास का गवाह है.
आग लगाने से पहले 3 जुलाई 1857 को बस्ती के कलेक्टर पेपे विलियम्स ने घुड़सवार फौज की मदद से मनोरमा नदी के तट पर बसे लगभग पांच हजार आबादी वाले इस गांव को घेरवा लिया था. मकानों ही नहीं मस्जिदों और हथकरघा केंद्रों को भी जला डाला गया. आज भी जली मस्जिद के अवशेष इसके प्रमाण हैं. तमाम ग्रामीणों की हत्या कर दी जो बचे वह किसी तरह महाराष्ट्र और गुजरात में जाकर बस गए. यदा-कदा खुदाई में जले हुए पुराने बर्तन आज भी मिलते हैं. अन्य गांवों के लोगों की सहानुभूति पाने के लिए अंग्रेजों ने चाल भी चली. इस गांव को तो गैर चिरागी घोषित कर दिया और अपनी करतूतों को छिपाने के लिए बस्ती गोंडा की सीमा पर गौर ब्लाक में बभनान के पास नया महुआडाबर गांव बसा दिया.
ग्रामीणों ने छह अंग्रेज अफसरों को उतार दिया था मौत के घाट
महुआडाबर गाँव के लोगों ने अंग्रेजों से टक्कर लेते हुए 10 जून 1857 को लेफ्टिनेंट लिंडसे, लेफ्टिनेंट थामस, लेफ्टिनेंट इंग्लिश, लेफ्टिनेंट रिची, लेफ्टिनेंट काकल व सार्जेंट एडवर्ड को मौत के घाट उतारा. वहीं सार्जेंट बुसर जान बचाकर भागने में सफल रहा और उसने ही घटना की जानकारी अंग्रेजों के वरिष्ठ अफसरों को दी थी.
क्या कहते हैं लोग
बस्ती के गजेटियर में महुआडाबर गांव का उल्लेख है. फैजाबाद से दानापुर बिहार जा रहे अंग्रेजी फौज के अधिकारियों को महुआडाबर गांव के लोगों ने घेर कर मार डाला था. जिसमे छह अंग्रेज अधिकारियों की मौके पर ही मौत हो गई थी. एक अधिकारी बच निकला था उसी की सूचना पर गोरखपुर से आई अंग्रेजी फौज ने महुआडाबर गांव का अस्तित्व मिटा दिया था. यह घटना प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में महुआ डाबर के लोगों का अद्भुत बलिदान है.