दुबौलिया से चारों धाम यात्रा के लिए निकला श्रद्धालुओं का जत्था

दुबौलिया विकास क्षेत्र के अलग-अलग स्थानों से चारों धाम यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का जत्था देर शाम अयोध्या के लिए रवाना हुआ जिसमें खलवा गांव के चंद्रशेखर द्विवेदी उनकी पत्नी सावित्री द्विवेदी तथा सूरत राजभर, वही दुबौलिया कस्बा निवासी गुरुप्रसाद, सत्यनारायण द्विवेदी, धर्मपुर कस्बा निवासी विजय कसौधन तथा जवाहिर अग्रहरी अपनी पत्नी के संग चारों धाम यात्रा करने के लिए घर से निकले। खलवा गांव में गांव भ्रमण के दौरान लोगों ने डीजे की धुनों पर भक्तिमय माहौल में थिरकते दिखे।
चार धाम यात्रा का महत्व
इन चारों स्थानों पर दिव्य आत्माओं का निवास है। इन चारों ही धाम को बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। बद्रीनाथ को जहां सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा जाता है। जहां भगवान विष्णु छह महीने निद्रा में रहते हैं और छह महीने जागते हैं। वहीं. केदारनाथ को भगवान शंकर के आराम करने का स्थान बताया गया है। केदारनाथ में दो पर्वत है नर और नारायण। विष्णु के 24 अवतारों मे से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। इन्हें के तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिवजी ने दर्शन दिए थे। मान्यताएं हैं कि इस यात्रा को करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
चार धाम यात्रा करने से मिलती है मुक्ति
कहते हैं कि इस यात्रा में मृत्यु को प्राप्त हो जाना शुभ माना जाता है। इन धामों की यात्रा करने से व्यक्ति को जीवन मुक्ति प्राप्त हो जाती है। बद्रीनाथ के बारे में कहा जाता है कि जो जाए बदरी, वो न आए ओदरी । इसका अर्थ है कि जो एक बार बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है उसे उदर यानी गर्भ में नहीं जाना पड़ता। शिव पुराण के मुताबिक जो व्यक्ति केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन कर जो मनुष्य वहां का जल पी लेता है उसका दोबारा जन्म नहीं होता है।