लड़के और लड़कियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज़रूरी

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लड़के और लड़कियों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान देना ज़रूरी

बस्ती l 19 वर्ष के किशोर और किशोरियां, जो भारत की आबादी का लगभग पांचवा हिस्सा हैं, वे व्यस्क होने की अपनी यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण सामाजिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक और जैविक परिवर्तनों से होकर गुज़रते हैं। उनके अनुभवों, उनके लिए उपलब्ध संसाधन और सहयोग, उनके व्यवहार, क्षमता और स्वास्थ्य पर आजीवन प्रभाव डालते हैं। उदया अध्ययन पॉपुलेशन काउंसिल के अध्ययन में 20,000 से ज़्यादा किशोर और किशोरियों का सर्वे किया गया जिसमें छोटी और बड़ी उम्र के लड़के, लड़कियां और विवाहित लड़कियां शामिल थी।

अध्ययन में शामिल किशोर और किशारियों की प्रगति को नापने का अवसर भी मिला। ये बातें एक वेबीनार कार्यक्रम में निकलकर सामने आईं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि लड़कों और लड़कियों दोनों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। अध्ययन के आंकड़ों को प्रस्तुत करने के बाद किशोरावस्था पर होने वाले निवेश को वरीयता देने के मुद्दे पर भी वेबीनार में चर्चा हुई। वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, लिंग, सामाजीकरण, डिजिटल साधन की उपलब्धि और जीवनयापन से जुड़े अवसर वे कारक हैं, जो वयस्कता में एक स्वस्थ्य और उपयोगी जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
संयोजक प्रो. सरोज बाला यादव, विश्व स्वास्थ्य संगठन में किशोर यौन और प्रजनन के वैज्ञानिक डॉ. वेंकटरमन चंद्रमौली, अविनाश कुमार, आनंद सिन्हा, और डॉ प्रिया नंदा शामिल थी। स्वास्थ्य महकमे के स्थानीय लोगों ने भी वेबिनार में हिस्सा लिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन में किशोर यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के मुख्य डॉ. वेंकटरमन चंद्रमौली ने कहा, “किशोरियां अपने जीवन में कुछ करना चाहती हैं, लेकिन वे अलग-अलग तरह के बंधनों में खुद को शक्तिविहीन पाती हैं, और इसी स्थिति को हमें बदलना है।”

उन्होंने हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर किशोरावस्था के विषय पर राष्ट्रीय तकनीकी बैठक आयोजित करने की मांग की। पॉपुलेशन काउंसिल भारत के डायरेक्टर डॉ.निरंजन सग्गुरटी ने कहा, “उदया अध्ययन परिवार, समुदाय और सरकारी कार्यक्रमों पर ज़रूरी जानकारी प्रदान करता है जो किशोरों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। कुछ कमियों को उजागर करता है जिन्हें संबोधित करने की आवश्यकता है। अध्ययन में बिहार और उत्तर प्रदेश में रहने वाली भारत की एक-चौथाई किशोरों की आबादी शामिल है, देशभर में इस तरह के और अध्ययन सरकार को किशोरावस्था से वयस्कता की ओर कामयाब परिवर्तन के लिए ज़रूरी और ठोस साक्ष्य प्रदान कर सकते हैं।”

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