यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बेहतर परिणामों के लिए होंगे कार्यक्रम

बस्ती, 6 नवंबर, 2020 : एक नए अध्ययन में कहा गया है कि उचित सामाजिक वातावरण तथा सूचनाओं व सेवाओं संबंधी क्रियाओं को मजबूत करने से यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य परिणामों में काफी सुधार लाया जा सकता है। वर्ष 2015-16 और 2018-19 में उत्तर प्रदेश के 10-19 वर्ष की आयु के 10,000 से अधिक किशोर, किशोरियों पर किये गए अध्ययन के अनुसार सही उम्र में शादी करना, लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाना, स्कूली शिक्षा के दौरान किशोर, किशोरियों को गर्भनिरोधक विधियों की जानकारी देना, अविवाहित और विवाहित किशोर, किशोरियों तक फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की पहुँच सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनमें युवा लोगों से प्रभावी संवाद करने की क्षमता विकसित करने जैसे कुछ ऐसे उपाय हैं जिनसे किशोर, किशोरियों के यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है।
पापुलेशन काउंसिल के निदेशक डॉ. निरंजन सगुरति के अनुसार अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शादी में देरी का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और उनके परिवार नियोजन सम्बन्धी निर्णयों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलाये जा रहे पीयर एजुकेटर (साथिया) कार्यक्रम के बारे में भी बहुत कम युवा जागरूक थे। केवल 2.6 प्रतिशत अविवाहित लडकियों और 1 प्रतिशत लड़कों को ही इस कार्यक्रम की जानकारी थी।
अपर मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश डॉक्टर हीरलाल ने अध्ययन के आंकड़ों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि “इस रिसर्च के जो नतीजे हैं इनमें जो भी कमियां इंगित की गई है उनको दूर करके इससे बचा जा सकता है और इससे जुड़े सभी लोगों को इस दिशा में प्रयास करने होंगे“। सेंटर फॉर एक्सिलेंस की डॉ सुजाता देब का कहना है की “आवश्यक है की प्रजनन और यौन स्वास्थ्य को किशोर किशोरियों के साथ प्रारम्भ से होई व्यावहारिक ज्ञान के रूप मे साझा किया जा सके जिससे वे न सिर्फ शारीरिक विकास की अवधारणा को समझ सके बल्कि उसके देखभाल संबंधी तकनीकी पहलू से भी परिचित हो सके“
सकारात्मक तौर पर देखा जाए तो शिक्षा के हर एक वर्ष में वृद्धि से युवा लड़कियों की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों के प्रति समझ और उनके बारे में खुलकर बात करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। आधारभूत शिक्षा का ज्ञान रखने वाली महिलाओं में कम बच्चे, गर्भपात की कम दर, गर्भनिरोधको की बेहतर समझ और संस्थागत प्रसव अपनाने की ओर रुझान देखने को मिला है। वर्ष 2015-16 में 10वीं पास अविवाहित युवतियां वर्ष 2018-19 के दौरान निर्णय लेने, आत्मनिर्भरता, गतिशीलता और लिंग समानता की सोच रखने जैसे सूचकांकों पर बेहतर अंक प्राप्त किये।
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