डोमिसाइल व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर में नये युग का सर्वोदय- आशीष
बस्ती। दीन दयाल सेवा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सामाजिक समरसता संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में नागरिकता से जुड़े डोमिसाइल व्यवस्था और उसके नियमों को गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किये जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जिन बड़े संकल्पों को लेकर अपना सर्वस्व बलिदान किया था वह स्वप्न अंततः साकार हो गया। आजाद भारत में 70 वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद यह निर्णय नया सूर्योदय है।
आशीष कुमार ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद जिस प्रकार से जम्मू-कश्मीर को संवैधानिक स्तर पर अलग-थलग रखने का षड़यंत्र किया गया अंततः केन्द्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का निर्णय लिया। इस दिन के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में एक नये युग का सूत्रपात हो गया। अब जबकि गृह मंत्रालय ने डोमिसाइल नीति को घोषित कर दिया है समूचा देश स्वयं को जम्मू-कश्मीर से और अधिक निकट महसूस कर रहा है। जम्मू-कश्मीर को राजनीतिक संरक्षण के रूप में मिले एकाधिकार समाप्त होने के साथ ही उपेक्षा, घृणा और सपरिवार पलायन को बाध्य होने वाले कश्मीरी पंडितों ने राहत की सांस लिया है। बालमीक समाज की उम्मीदें पाक अधिकृत कश्मीर में जग गई है। आशीष कुमार ने उम्मीद जताया कि अब कश्मीरी पंडितों की शीघ्र वापसी हो जायेगी और कश्मीर आतंकवाद से मुक्त होने के साथ ही भारतवासी यहां जमीन खरीदने के साथ ही नागरिक हासिल करने और विवाह संस्कार से भी जुड़कर अपने पुरातन मान्यताओं को मजबूती दे सकेंगे। कहा कि देश का कोई भी नागरिक अब जम्मू-कश्मीर में बाहरी नहीं, वह भारतीय है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में बीते 70 वर्षों से एक वर्ग विशेष के तुष्टीकरण वाली सियासत और नौकरशाही का भी सूर्यास्त हो गया है। भारत-पाक विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर में शरण लेने वाले पश्चिमी पाकिस्तान के नागरिकों को अब अपनी नागरिकता के खाने में पाकिस्तानी नहीं लिखना पड़ेगा। निश्चित रूप से यह बड़ी विजय है।
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बस्ती। दीन दयाल सेवा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सामाजिक समरसता संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष…