कोरोना से जंग में देवदूत बने आयुष चिकित्सक

(बस्ती से दुर्गेश कुमार ओझा की रिपोर्ट)
बस्ती। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम में तैनात संविदा आयुष चिकित्सक मुसीबत की इस घड़ी में देवदूत बन कर उभरे हैं। दरअसल कोरोना जैसे माहमारी से निपटने हेतु स्वास्थ्य विभाग द्वारा आरबीएसके चिकित्सको की ड्यूटी कोरोना संक्रमित मरीजो की पहचान करने एवं आइसोलेशन वार्ड तक ले जाने मे लगाई गई है। जनपद बस्ती में कुल आरबीएसके चिकित्सको की संख्या 52 है। वहीं पूरे प्रदेश में ऐसे चिकित्सको की तादात 2500 के करीब है। सवाल यह है कि इस महामारी से निपटने में अपने जान की परवाह किए बिना देश के प्रति अपना फर्ज निभाने वाले इन चिकित्सको को और सुबिधायें मिलनी चाहिए। शुरुवाती दौर में एनएचएम के तहत आरबीएस के चिकित्सको की तैनाती प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चो एवम आगनबाड़ी केंद्रों के बच्चो में स्वास्थ्य परीक्षण हेतु किया गया था। धीरे धीरे इनका काम बढ़ता गया लेकिन मानदेय में कोई खास बढ़ोत्तरी नही हुई आज भी इनका मानदेय मात्र 26500 रुपये प्रतिमाह ही है। जो की बाकी चिकित्सकों की अपेक्षा बहुत कम है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 2 टीमें होती हैं। प्रत्येक टीम में 1 महिला चिकित्सक 1 पुरुष चिकित्सक तथा 2 पैरामेडिकल स्टाफ होते हैं। वर्तमान में बच्चो के स्वास्थ्य परीक्षण के अलावा कुल 40 बीमारियों का जिम्मा जैसे टीवी, लेप्रोसी, कुपोषण, बर्थ डिफेक्ट, एनीमिया आदि को चिन्हित कर मुख्यालय पर उपचार करवाना भी आरबीएसके चिकित्सको को ही सौंपी गई है। इसके अलावा कोरोना महामारी का जंग भी इन्ही चिकित्सको के भरोसे लड़ा जा रहा है।
होम्योपैथी चिकित्सा महासंघ के राष्ट्रीय सचिव एवं आरोग्य भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. दीपक सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में मांग किया है कि कोरोना महामारी में ड्यूटी कर रहे संविदा आरबीएसके चिकित्सको को सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जाए। इन चिकित्सको को समान कार्य समान वेतनमान दिया जाए। वर्तमान में मात्र 26500 रुपए वेतन इन चिकित्सको के साथ अन्याय है।
क्या कहते है आरबीएसके चिकित्सक
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हरैया में तैनात डॉ. विभा सिंह का कहना है कि कोरोना माहमारी में देश आज बहुत बड़े संकट से गुजर रहा है। चिकित्सक का धर्म आम जनमानस की जिंदगी को बचाना है।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मेघा सिंह कहती हैं कि आरबीएसके चिकित्सको का योगदान सराहनीय है। इन्हें और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बहादुरपुर में तैनात डॉ. शिवा श्रीवास्तव कहती हैं कि इस महामारी में आरबीएसके चिकित्सको का दायित्व पहले की अपेक्षा और ज्यादा बढ़ गया है। सरकार हम चिकित्सको की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गौर में तैनात डॉ. उत्तम सिंह कहते हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजो के बीच बिना सुरक्षा ड्रेस के जाना खतरों से खाली नही है। अतः आरबीएसके चिकित्सको के सुरक्षा का ध्यान दिया जाए।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कुदरहा में तैनात डॉ. मनोज पाण्डेय ने कहा कि आरबीएसके चिकित्सको की जिम्मेदारी कोरोना माहमारी में सबसे ज्यादा है। क्योंकि कोरेनटाइन में रखे व्यक्तियों के बीच इन्ही चिकित्सको को जाना पड़ता है। इसलिए इन्हें और बेहतर सुविधा देने की आवश्यक्ता है। इसके अलावा और चिकित्सको के बराबरी में इनका मानदेय भी किया जाना चाहिए।
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