आचार्य पंडित अच्युतानंद त्रिपाठी से जाने क्या कहते है आपके राशिफल एवं स्वस्थ्य रखने के उपाय
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?? *सुप्रभातम्* ??
?««« *आज का पंचांग* »»»?
कलियुगाब्द…………………….5122
विक्रम संवत्……………………2077
शक संवत्………………………1942
मास……………………………कार्तिक
पक्ष………………………………कृष्ण
तिथी………………………..त्रयोदशी
संध्या 05.57 पर्यंत पश्चात चतुर्दशी
रवि………………………..दक्षिणायन
सूर्योदय………..प्रातः 06.38.28 पर
सूर्यास्त……….संध्या 05.43.43 पर
सूर्य राशि………………………..तुला
चन्द्र राशि………………………कन्या
गुरु राशि………………………….धनु
नक्षत्र…………………………….चित्रा
रात्रि 10.59 पर्यंत पश्चात स्वाति
योग……………………………….प्रीति
प्रातः 11.40 पर्यंत पश्चात आयुष्मान
करण…………………………….गरज
प्रातः 07.46 पर्यंत पश्चात वणिज
ऋतु……………………………..शरद
दिन………………………….शुक्रवार
?? *आंग्ल मतानुसार :-*
13 नवम्बर सन 2020 ईस्वी ।
⚜ *तिथी/पर्व/व्रत विशेष :-*
*रूप चतुर्दशी पर्व :-*
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी आती है। इस दिन सौंदर्य रूप श्रीकृष्ण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। ऐसा करने से भगवान सुंदरता देते हैं। इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह त्यौहार नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी प्रसिद्ध है। मान्यता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग (चिचड़ी) की पत्तियाँ जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है। विधि-विधान से पूजा करने वाले व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। दीपावली को एक दिन का पर्व कहना न्योचित नहीं होगा। इस पर्व का जो महत्व और महात्मय है उस दृष्टि से भी यह काफी महत्वपूर्ण पर्व व हिन्दुओं का त्यौहार है। यह पांच पर्वों की श्रृंखला के मध्य में रहने वाला त्यौहार है जैसे मंत्री समुदाय के बीच राजा।
इसी दिन कृष्ण ने एक दैत्य नरकासुर का संहार किया था। सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि से निपट कर यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करने का विधान है। संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार, नरकासुर एक अधर्मी राजा था जिसने कई राजाओं, ब्राह्मणों और कन्याओं को बंदी बनाया हुआ था। उसके अधर्मी कृत्यों से देवता भी परेशान थे। लेकिन उसे वरदान था की उसकी मृत्यु उसी के हाथ होगी जो उस समय अपनी पत्नी के साथ होगा। इस पर देवताओं के आह्वान पर श्रीकृष्ण ने इस असुर का नाश करने का फैसला किया। श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाकर नरकासुर का वध किया। वध के बाद नरकासुर का शव जमीन में चला जाता है जिस पर भू माता प्रकट होकर श्री कृष्ण को नरकासुर पूरी कथा बताती हैं।
*रूप चतुर्दशी कथा :-*
रूप चतुर्दशी की कथा के अनुसार एक समय भारत वर्ष में हिरण्यगर्भ नामक नगर में एक योगिराज रहते थे। उन्होंने अपने मन को एकाग्र करके भगवान में लीन होना चाहा। अत: उन्होंने समाधि लगा ली। समाधि लगाए कुछ ही दिन बीते थे कि उनके शरीर में कीड़े पड़ गए। बालों में भी छोटे-छोटे कीड़े लग गए। आंखों की रोओं और भौंहों पर जुएं जम गईं। ऐसी दशा के कारण योगीराज बहुत दुखी रहने लगे। इतने में ही वहां नारदजी घूमते हुए वीणा और करताल बजाते हुए आ गए। तब योगीराज बोले- हे भगवान मैं भगवान के चिंतन में लीन होना चाहता था, परंतु मेरी यह दशा क्यों गई?
तब नारदजी बोले- हे योगीराज! तुम चिंतन करना जानते हो, परंतु देह आचार का पालन नहीं जानते हो। इसलिए तुम्हारी यह दशा हुई है। तब योगीराज ने नारदजी से देह आचार के विषय में पूछा। इस पर नारदजी बोले- देह आचार से अब तुम्हें कोई लाभ नहीं है। पहले जो मैं तुम्हें बताता हूं उसे करना। फिर देह आचार के बारे में बताऊंगा।
थोड़ा रुककर नारदजी ने कहा- इस बार जब कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी आए तो तुम उस दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा ध्यान से करना। ऐसा करने से तुम्हारा शरीर पहले जैसा ही स्वस्थ और रूपवान हो जाएगा।
योगीराज ने ऐसा ही किया और उनका शरीर पहले जैसा हो गया। उसी दिन से इसको रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।
☸ शुभ अंक…………………..8
? शुभ रंग……………आसमानी
⚜ *अभिजीत मुहूर्त :-*
प्रातः 11.48 से 12.32 तक ।
?? *राहुकाल (अशुभ) :-*
प्रात: 10.47 से 12.10 तक ।
? *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।
? *उदय लग्न मुहूर्त -*
*तुला*
04:39:52 06:56:43
*वृश्चिक*
06:56:43 09:18:39
*धनु*
09:18:39 11:23:03
*मकर*
11:23:03 13:05:39
*कुम्भ*
13:05:39 14:33:21
*मीन*
14:33:21 15:58:32
*मेष*
15:58:32 17:34:00
*वृषभ*
17:34:00 19:29:51
*मिथुन*
19:29:51 21:44:49
*कर्क*
21:44:49 24:05:31
*सिंह*
24:05:31 26:23:12
*कन्या*
26:23:12 28:39:52
✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 08.03 से 09.25 तक लाभ
प्रात: 09.25 से 10.47 तक अमृत
दोप. 12.10 से 01.32 तक शुभ
सायं 04.16 से 05.38 तक चंचल
रात्रि 08.54 से 10.32 तक लाभ ।
? *आज का मंत्र :-*
॥ ॐ विश्वरुपाय नम: ॥
? *संस्कृत सुभाषितानि -*
भृगुं पुलस्त्यं पुलहं क्रतुमङ्ग़िरसं तथा ।
मरीचिं दक्षमत्रिं च वसिष्ठं चैव मानसम् ॥
अर्थात :-
भृगु, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, अंगिरस, मरीचि, दक्ष, अत्रि, और वसिष्ठ – ये ब्रह्मा के नौ मानस पुत्र हैं ।
? *आरोग्यं सलाह :-*
*कपूर के फायदे :-*
*2. चोट का जल्दी ठीक होना -*
कपूर में एंटीबायोटिक प्रोपर्टी होती है, जो हमारी चोट को जल्दी ठीक करने के लिए बहुत ही मददगार माना जाता है। जब भी हमें चोट लग जाती है या फिर कट लग जाता है, तो हमें कपूर को पानी में मिक्स करके लगाना चाहिए। ऐसा करने से हम जल्दी ठीक हो सकते हैं। एड़ियां नहीं फटती कपूर का इस्तेमाल हम अपने पैरों पर भी करते हैं, इसके लिए गर्म पानी में थोड़ा सा कपूर और नमक डाल लें फिर अपने पैरों को कुछ देर तक पानी में ही रहने दें। उसके बाद अपने पैरों में मॉइश्चराइजर लगाएं। ऐसा करने से आप की फटी हुई एड़ियों को बहुत ही राहत मिलती है।
⚜ *आज का राशिफल :-*
?*राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
सामाजिक कार्य करने की इच्छा रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। काफी समय से लंबित कार्यों में गति आएगी। लाभ के अवसर बढ़ेंगे। कारोबारी नए अनुबंध हो सकते हैं। राजमान व यश में वृद्धि होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से परिचय होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।
? *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। सुख के साधन जुटेंगे। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देंगे। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। निवेशादि शुभ रहेंगे। उत्साह में वृद्धि होगी।
?? *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
विवाद को बढ़ावा न दें। अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेना पड़ सकता है। चिंता तथा तनाव बने रहेंगे। कुसंगति से बचें। हानि होगी। राजभय रहेगा। जल्दबाजी व लापरवाही न करें। कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय सोच-समझकर करें। व्यापार-व्यवसाय की गति धीमी रहेगी।
? *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
अनहोनी की आशंका रह सकती है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। वैवाहिक प्रस्ताव विवाह के उम्मीदवारों का इंतजार कर रहा है। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता बनी रहेगी।
? *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
उत्साह व प्रसन्नता से कार्य कर पाएंगे। धन प्राप्ति सुगम होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। अधिकारी वर्ग प्रसन्न रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। सामाजिक कार्य करने का मन बनेगा। थोड़े प्रयास से ही रुके काम बनेंगे। पराक्रम व प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। थकान व कमजोरी रह सकती है।
??♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
विवाद से क्लेश संभव है। दूर से दु:खद समाचार मिल सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। भागदौड़ अधिक होगी। लाभ में कमी रहेगी। परिवार के छोटे सदस्यों की अध्ययन तथा स्वास्थ्य संबंधी चिंता रहेगी। उत्साह की कमी महसूस करेंगे। व्यापार ठीक चलेगा।
⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
किसी मांगलिक-आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। यात्रा मनोरंजक रहेगी। मनपसंद भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। शत्रु पस्त होंगे। उनकी एक नहीं चलेगी। हल्की हंसी-मजाक से बचें। कार्यक्षेत्र में उत्साह व प्रसन्नता बनी रहेगी।
? *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
चिंता तथा तनाव रहेंगे। भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। शुभ समाचारों की प्राप्ति से प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। सुख के साधनों पर बड़ा खर्च हो सकता है। लेन-देन में सावधानी रखें। अज्ञात भय रहेगा। कोई बड़ा काम करने की इच्छा प्रबल होगी।
? *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
लेन-देन में जल्दबाजी न करे। भूमि व भवन संबंधी कार्य मनोनुकूल लाभ देंगे। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। शत्रु सक्रिय रहेंगे। सावधानी आवश्यक है। घर-परिवार की चिंता रहेगी। चोट व रोग से बचें। कष्ट संभव है। रोजगार में वृद्धि होगी। कारोबार में वृद्धि होगी। यात्रा संभव है।
? *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
पुराना रोग उभर सकता है। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। समय पर किसी कार्य का भुगतान नहीं कर पाएंगे। शत्रु कोई बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं। वाहन व मशीनरी के कार्यों में सावधानी रखें। व्यापार-व्यवसाय साधारण रहेगा।
? *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
आय के नए साधन प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में सहकर्मी विशेषकर महिला वर्ग से लाभ होगा। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। किसी बात का विरोध हो सकता है। सुख के साधन जुटेंगे। पूजा-पाठ में मन लगेगा। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। कष्ट व भय बने रहेंगे। विवेक से कार्य करें।
? *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
कोर्ट व कचहरी के काम मनोनुकूल रहेंगे। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में मातहतों का साथ रहेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। अज्ञात भय रहेगा। दुष्टजनों से सावधान रहें। शारीरिक कष्ट से बाधा तथा हानि संभव है। बेचैनी रहेगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। प्रसन्नता रहेगी।
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