भवसागर से पार कराने का साधन है रामकथा : मनु जी महाराज

कलवारी, बस्ती। जिसे भवसागर पार करना है उसके लिए रामकथा से दृढ नौका से अच्छा दूसरा साधन हो ही नहीं सकता। जिसके मुँह से धोखे से भी श्रीराम का नाम निकल जाय उसे संसार सागर के दुखों से मुक्ति मिल जाता है। धरती पर जब अधर्म का बोलबाला होता है तब भगवान का किसी न किसी रूप में अवतार होता है। भगवान चारो दिशाओं में विद्यमान है। इन्हें प्राप्त करने का मार्ग मात्र सच्चे मन से भक्ति ही है।
यह सदबिचार अवधध़ाम से पधारे मानस मर्मज्ञ मनु जी महाराज ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के अवसर पर सोमेश्वर नाथ महादेव मन्दिर पाऊं मे चल रही नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के नौवें दिन ब्यास पीठ से प्रवचन सत्र के दौरान ब्यक्त किया।
उन्होंने कथा की शुरुआत शबरी माता के नवधा भक्ति के उपदेश से किया। प्रवचन सत्र में उन्होंने कहा कि हम मनुष्य दूसरों से प्रेम तो करते हैं पर उस प्रेम में कभी ना कभी अपने स्वार्थ की खटास आ ही जाती है। राम और भरत के प्रेम में कभी भी अपने स्वार्थ की खटास नहीं आई। यदि हम हमारे जीवन में रामचरित्रमानस को कार्य व्यवहार में लाना चाहते हैं तो अपने कर्तव्य को निष्ठा से करते हुए वर्तमान समय को पवित्र बनाएं। व्यक्ति अच्छी परिस्थितियों में तो हमेशा ही अच्छा होता है। पर जो बुरी परिस्थितियों में भी अच्छा व्यवहार करता है, वहीं व्यक्ति विजयी कहलाता है।
राम कथा के दौरान उन्होंने कहा कि प्रकृति प्रत्येक व्यक्ति को अवसर देती है। कोई व्यक्ति उस अवसर का लाभ उठाता है और आगे बढ़ जाता है। और कोई कोई व्यक्ति अवसर आने पर अहंकार के कारण चूक जाता है। और अपने बहुमूल्य समय को गवां देता है। राम कथा के दौरान शबरी माता के प्रसंग को सुन श्रोता भाव विभोर हो गये। उन्होंने राम जी के चरित्र का बड़े विस्तार से वर्णन किया।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, पंकज सोनी, सन्त रामदास पहलवान, श्याम सुन्दर दूबे, दुर्गा प्रसाद शुक्ल, राजेंद्र दूबे, राम उग्रह ओझा, सरयू प्रसाद ओझा, अमित दास, अनिल दूबे, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, दिनेश शुक्ल, अम्बिका दूबे, हजारी लाल भारती, दिलीप मोदनवाल सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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