बैड़ारी मुस्तहकम कस्बा स्थित गिरा राजा का खलंगा, प्राचीन चिनाई और मोटी दीवाल को देखने हेतु उमड़ी भीड़

कलवारी, बस्ती। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश से करीब डेढ़ सौ साल बने पुराने मकान का एक चौथाई हिस्सा ढह गया। मकान ढहने से करीब पचास हजार रूपए के सामान का नुकसान हुआ है। किसी जनहानि की सूचना नहीं है।
शुक्रवार को कलवारी थाना क्षेत्र के बैड़ारी मुस्तहकम कस्बा स्थित एक घर का चौथाई हिस्सा भर भरा कर गिर गया। मकान के मलबे में कपड़ा, पेटी, पुराने जमाने का फर्नीचर, बर्तन, गैस चूल्हा, अनाज सहित अन्य सामान टूट गया। बैड़ारी मुस्तहकम कस्बा स्थित यह मकान राजा महसो का खलंगा हुआ करता था। बैड़ारी कस्बे का सबसे बड़ा मकान कभी महसों के राजा का खलंगा हुआ करता था। करीब 50 वर्ष पहले राजा ने इस खलंगा को बैड़ारी निवासी जगन्नाथ पासवान के हाथ बेंच दिया था। मकान के दीवाल की चौड़ाई करीब 27 इंच है। डेढ़ सौ वर्ष पुराने बने मकान की चिनाई चूना और सुर्खी से किया गया था। मकान का अंश गिरने के बाद इतनी मोटी दीवार देखने के लिए कई गांव के लोगों का जमावड़ा लग गया। मकान के मालिक जगन्नाथ बताते हैं कि घर के अन्दर राजा साहब के द्वारा देवी की स्थापना किया गया था। जहां आज भी रोजाना पूजा होता है। और मकान के बाहर पीपल के पेड़ के पास स्थापित शिवलिंग को भव्य मंदिर में स्थान दिया गया है। जहां भगवान शिव की आराधना होती है।
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