बिना भेदभाव के सबको साथ लेकर चलने की शिक्षा देते हैं भूतभवन भोलेनाथ : मनु जी महाराज

कलवारी, बस्ती। पैसा, सत्ता और विद्वता ये तीनो जिसके पास आ जाती है। उसे बहुत संभल के रहना चाहिए, जरा भी विचलित हो जाने पर ब्यक्ति बहुत नीचे गिर जाता है।
ये बातें श्रीराम कथा के चौथे दिन अयोध्याधाम से पधारे पूज्य सन्त मनुजी महाराज ने कहा। सोमेश्वरनाथ धाम शिव मंदिर पाऊँ में श्रीराम कथा की अमृतबर्षा करते हुए संतश्री ने कहा कि श्रद्धा स्वरूप पर्वतराज और अहंकार मुक्त मैना के यहाँ माता उमा के जन्म लेते ही आनन्द की बर्षा होने लगती है। बेटी उमा के नामकरण संस्कार के अवसर पर महर्षि नारद जी ने कहा कि इसका पति पांच कुलक्षणों भयंकर योगी, जटाजूट धारी, श्मसान की राख धारण, हड्डी की माला पहने, पूर्णतः नग्न अवस्था में रहेगा। उपाय पूछने पर बताया कि अखण्ड तपस्या करना पड़ेगा। माता पार्वती द्वारा श्वेत वस्त्र धारण किये महात्मा का स्वप्न देखने के पश्चात् घोर तपस्या करने के लिए बन में चली जाती हैं। बहुत दिनों तक बिना अन्न जल के अनवरत तपस्या चल रही है। इधर सती जी के शरीर त्यागने के बाद भूतभावन भोलेनाथ श्रीराम नाम संकीर्तन में लीन हो जाते हैं। प्रभु श्रीराम दर्शन देकर शिव जी से बिबाह करने का आग्रह करते हैं। शिव जी के हामी भरते ही देवता फूलों की बर्षा करते हैं।
शिवगण नन्दी व बीरभद्र भूतभावन भोलेनाथ का श्रृंगार करते हैं। सर्पो का मुकुट, बिच्छू का कान में कुंडल, सांप का बाजू बन्द, गले में मुण्ड माला, साप का जनेऊ, कमर में मृगछाला और नन्दी की पूँछ पकड़ कर पीछे के तरफ मुँह करके बिचित्र प्रकार के भूतों से बातचीत करते हुए चल रहे हैं। भूतो द्वारा नागिन डांस से उडी धुल से दूल्हा सहित बाराती ऐसे लग रहे हैं जैसे अभी अभी श्मसान की भष्म लगाकर निकले हों। बारात देखने के लिए कतार बद्ध खड़े लोग प्रेतों का हुड़दंग देख भाग खड़े होते हैं। गांव के लोग अपने घर जाकर कहते हैं कि पूरे गांव के लोगों का प्राण हरण कर एक साथ ले जाने के लिए यमराज की पूरी टोली साथ लेकर आये हैं। मैनावती आरती की थाली भोलेनाथ के सिर पर फेंक कर चली जाती हैं। काफी समझने पर भगवान भोलेनाथ का बिबाह संपन्न होता है। स्वर्ग से फूलों की बर्षा होती है। तमाम शिक्षा देकर माता मैनावती पार्वती जी की बिदाई करती हैं।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, पंकज सोनी, सन्त रामदास पहलवान, श्याम सुन्दर दूबे, अमित दास, अनिल दूबे, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, पुनीत शुक्ल, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, अम्बिका दूबे, हजारी लाल भारती सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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