धर्म की रक्षा हेतु समय समय पर अवतरित होते हैं भगवान : मनु जी महाराज

कलवारी, बस्ती । रामकथा से मनोरंजन नहीं मनोमंथन करें। परमात्मा के आत्मा रुपी पुत्रो से प्रेम करके परमात्मा को सरल व सहज रूप से प्राप्त किया जा सकता है। परमात्मा के अवतरण के लिए कौशिल्या और दशरथ जैसा तपस्वी बनना पड़ता है।
ये बातें श्रीराम कथा के पांचवें दिन अयोध्या धाम से पधारे पूज्य सन्त मनुजी महाराज ने कहा। सोमेश्वरनाथ धाम शिव मंदिर पाऊँ में नौ दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा की अमृतबर्षा करते हुए संतश्री ने श्रीराम के जन्म के मर्म व उद्देश्य के कारणों को बताया। कहा कि राम जन्म के कई कारण है। इसमे एक कारण यह भी है कि जय और बिजय भगवान के द्वारपाल थे लेकिन श्रापवश हिरण्याकश्यप, हिरण्याक्ष, रावण, कुम्भकरण जैसे प्रतापी राक्षस हुए। भगवान ने उद्धार करने के लिए अवतार लिया था। भगवान धर्म की रक्षा के लिए समय समय पर अवतरित हुए। कथा ब्यास ने कहा कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा से चौथे पन मे महाराज दशरथ को चिन्ता सताने लगी तो कुलगुरु के सलाह पर पुत्रेष्ठि यज्ञ कराया। कुछ समय बीता तो महल मे भगवान के जन्म के शुभ लक्षण दिखायी देने लगे। राजा दशरथ को एक पुत्र की जगह चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। समाचार मिलते ही महल में ही नही पूरी अयोध्या किलकारियों से गूंज उठी। यहाँ तक कि देवता भी पुष्प बर्षा करने के साथ रुप बदलकर भगवान की बाल लीला का दर्शन करने के लिए अवध मे आने लगे ।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, पंकज सोनी, सन्त रामदास पहलवान, श्याम सुन्दर दूबे, अमित दास, अनिल दूबे, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, पुनीत शुक्ल, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, अम्बिका दूबे, हजारी लाल भारती सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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