जगत कल्याण के लिए भगवान शिवजी ने किया विवाह : मनुजी महाराज

गायघाट, बस्ती। समीक्षा खुद की, प्रतीक्षा ईश्वर के कृपा की, इच्छा परमात्मा के पुत्र रुपी आत्मा से सुसज्जित हरेक प्राणी की सेवा करने की हो तो जीव समस्त सुखों धन यश कीर्ति को प्राप्त करते हुए मोक्ष की प्राप्ति करता है।
ये बाते अवध धाम से पधारे राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कथा वाचक मनुजी महाराज ने कहा। वे पाऊं गांव स्थित सोमेश्वर महादेव मन्दिर परिसर में शाश्वत सेवा संस्थान के तत्वावधान में शारदीय नवरात्र के अवसर पर चल रहे नौ दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रीराम कथा की अमृतवर्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम और भोलेनाथ एक दूसरे को प्रणाम कर समाज को संस्कार सूत्र में पिरोते हैं। किंतु आदिशक्ति माता भगवती सती भ्रमित हो जाती हैं। जिस शिव को संसार प्रणाम करता है वे दर दर भटकते एक बनवासी को क्यों प्रणाम करते हैं। सती माता सीता का रूप धारण कर प्रभु श्रीराम की परीक्षा लेती हैं। भोलेनाथ द्वारा माता प्रणाम कहने पर शर्मिंदा होकर सती जी वापस लौटती हैं। भगवान शिव सती का परित्याग करते हैं। भगवान शिव क्रुद्ध होकर समाधि में लीन हो जाते है। राजा हिमांचल के यहाँ सती माता पार्वती के रूप में जन्म लेती हैं। और नारद मुनि की प्रेरणा से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या करती हैं। जगत के कल्याण के लिए भगवान शिव बिबाह के लिए तैयार हो जाते हैं। भगवान शिव की बारात एवम शिव का स्वरूप देख जहाँ राजा हिमांचल की पत्नी मैनावती दुखी हो जाती हैं वही उपस्थित श्रोता हँस हँस कर लोटपोट हो जाते हैं।
कथा में मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं मन्दिर के महन्त पप्पू दास उर्फ नागा बाबा, ग्राम प्रधान अभिषेक पाण्डेय, श्रीराम कथा के विशेष सहयोगी पंकज सोनी, सन्त रामदास पहलवान, श्याम सुन्दर दूबे, अमित दास, सतीश दास, अनिल दूबे, दिनेश ओझा, पप्पू गुप्ता, पुनीत शुक्ल, अरुण दूबे, राघवेन्द्र शुक्ल, मोनू शुक्ल, अम्बिका दूबे, हजारी लाल भारती सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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