कैसे हो गेहूं की कटाई कंबाइन पर ग्रहण, नहीं मिल रहे मजदूर, अपनी किस्मत को कोस रहा किसान

बस्ती जिले में गेहूं की फसल खेतों में कटने के लिए तैयार खड़ी है। मौसम की मार से जूझ रहे बस्ती के किसानों को अब कुछ सूझ नहीं रहा ही। कभी मजदूरों के हवाले रहने वाले खेतों के कार्यों को कृषि मशीनों ने अपने कब्जे में ले लिया आज फिर किसान हैरान है कि खेत में खड़ी फसल को कैसे काटकर सुरक्षित किया जाए। मार्च के आखिरी सप्ताह से चलने वाली तेज पछुआ हवाओं में कब आग की एक चिंगारी फसलों को जलाकर राख कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता। मौसम के बदलते तेवर की वजह से किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा और अब कोरोना संक्रमण की वजह से किसान परेशान हैं। ऐसे में किसान अब अपनी किस्मत को कोस रहा है।
गेहूं की फसल के कटाई के लिए कोरोना संक्रमण के खतरों की वजह से मजदूर नहीं मिल रहे हैं। इसके पहले गेहूं काटने के लिए कंबाइन मशीनों पर ही लोग आश्रित हो गए और इस बार कंबाइन ने भी धोखा दे दिया। कारण यह है कि अधिकांश कंबाइन चालक और उनके हेल्पर बाहर के जिलों से ही आते हैं। अब लॉकडाउन के चलते उन्हें आने में भारी दुश्वारियां का सामना करना पड़ रहा है। किसी तरह से अगर कुछ कंबाइन मालिकों ने उन्हें बुला भी लिया तो अब मशीनों के कल पुर्जे नहीं मिल रहे हैं।
भले ही सरकार ने आदेश जारी किया है कि किसानों से जुड़े खाद, बीज व कीटनाशक की दुकानों को बंद न कराया जाए और अपने ही आदेश में कहा कि किसानों से जुड़े कृषि यंत्रों और जरूरतों के प्रतिष्ठानों को समय निर्धारित कर सहूलियत दी जाए जिससे किसान अपना कृषि कार्य कर सकें। परेशानी तब विकराल हो गई जब अचानक से जनपद समेत प्रदेश के कुछ जगहों को कोरोना संक्रमण के चलते जिले को सील कर दिया गया। बस्ती जनपद में अधिकतर कृषि यंत्र की दुकानें गांधीनगर क्षेत्र में हैं जो एरिया सील होने की वजह से न दुकानदार जा पा रहा है और ना ही किसान। इसी बीच जनपद के कुछ हिस्सों से आग लगी की खबरों ने अब किसानों की नींद उड़ा दी है। ऐसे में गेहूं की फसल पर पहले मौसम की मार पड़ी अब उसे कोरोना वायरस की वजह से झेलना पड़ रहा है फिलहाल किसान अब सिर्फ अपनी किस्मत को कोस रहा है।
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बस्ती जिले में गेहूं की फसल खेतों में कटने के लिए तैयार खड़ी है। मौसम…