कुछ इस तरह अमहट घाट पर कुआनों नदी में गिरी अनियंत्रित कार, तीन की मौत दो घायल
बस्ती। जिले राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर कुवानो नदी के अमहट घाट पुल से अनियंत्रित कर रेलिंग तोड़ते हुए नदी के खाई में जा गिरी। बता दें अनियंत्रित कर रेलिंग तोड़ते हुए खाई में गिरी जिससे कार में सवार 5 लोगों में 3 की हालत गंभीर बताई जा रही है। अस्पताल में डॉक्टरों ने तीन लोगों को मृत घोषित कर दिया।
कार नदी में गिरता देख राहगीरों ने नदी में कूदकर कार का शीशा तोड़कर कार में फंसे लोगों को बाहर निकाला। वहीं मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजवाया। जहां पर तीन लोगों की मौत हो गई। दो का इलाज चल रहा है।
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बस्ती। कोविड-19 के दौर में पड़ने वाले त्योहारों को लेकर लोगों को सुरक्षित बनाने का हरसंभव प्रयास सरकार के साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी किया जा रहा है। दीपावली पर पटाखे जलाने की सदियों पुरानी परम्परा को इस बार नजरंदाज करके ही हम समुदाय को सेहतमंद बनाने में अपनी अहम् भूमिका निभा सकते हैं। इस समय वायु प्रदूषण और नमी की जद में प्रदेश के अधिकतर जिले हैं।
ऐसे में पटाखे का जहरीला धुआं उड़कर ऊपर न जाकर नीचे हमारे इर्द-गिर्द ही रहकर सांसों के साथ ही फेफड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए सांस लेने में तकलीफ पैदा करने वाले कोरोना के साथ ही अन्य कई बीमारियों से बचने के लिए भी इस बार पटाखों से दूरी बनाने में ही सभी की भलाई है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने लखनऊ समेत प्रदेश के 13 अधिक प्रदूषण वाले जिलों में पटाखे जलाने पर रोक लगा रखी है। डॉ. डॉ. एके कुशवाहा, नोडल नगरीय स्वास्थ्य का कहना है कि दीपावली पर चन्द सेकेण्ड के धमाकों व तेज रोशनी के लिए की जाने वाली आतिशबाजी से निकलने वाले जहरीले धुंएँ में कई तरह के खतरनाक रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं जो पर्यावरण को प्रदूषित करने के साथ ही शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके धुएं में मौजूद कैडमियम फेफड़ों में आक्सीजन की मात्रा को कम करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद सल्फर, कॉपर, बेरियम, लेड, अल्युमिनियम व कार्बन डाईआक्साइड आदि सीधे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं । कोरोना ने सांस की तकलीफ वालों को ज्यादा प्रभावित किया है, इसलिए पटाखे का धुआं श्वसन तंत्र को प्रभावित कर कोरोना की गिरफ्त में न ले जाने पाए, उसके लिए इस बार पटाखे से दूर रहें। डॉ. डॉ. एके कुशवाहा, नोडल नगरीय स्वास्थ्य का कहना है कि पटाखों से निकलने वाला धुआं वातावरण में नमी के चलते बहुत ऊपर नहीं जा पाता है, जिससे हमारे इर्द-गिर्द रहकर सांस लेने में परेशानी, खांसी आदि की समस्या पैदा करता है। दमे के रोगियों की शिकायत भी बढ़ जाती है। धुंए के कणों के सांस मार्ग और फेफड़ों में पहुँच जाने पर ब्रानकाइटिस और सीओपीडी की समस्या बढ़ सकती है। यह धुआं सबसे अधिक त्वचा को प्रभावित करता है, जिससे एलर्जी, खुजली, दाने आदि निकल सकते हैं। पटाखे की चिंगारी से त्वचा जल सकती है । पटाखों से निकलने वाली तेज रोशनी आँखों को भी नुकसान पहुंचाती है। इससे आँखों में खुजली व दर्द हो सकता है , आँखें लाल हो सकती हैं और आंसू निकल सकते हैं। चिंगारी आँखों में जाने से आँखों की रोशनी भी जा सकती है। पटाखों का तेज धमाका कानों पर भी असर डालता है। इससे कम सुनाई पड़ना या बहरापन की भी दिक्कत पैदा हो सकती है।
सेनेटाइजर लगे हाथों से कदापि न छुएं पटाखें
कोरोना काल में सेनेटाइजर लगे हाथों से पटाखे जलाना और यहाँ तक कि छूना भी मुसीबत में डाल सकता है क्योंकि अल्कोहल युक्त सेनेटाइजर पटाखों में मौजूद बारूदों के संपर्क में आकर धमाका कर सकता है। इसलिए इस दीपावली पटाखों से वैसे दूर रहने की पूरी कोशिश कीजिये, यदि आतिशबाजी करते ही हैं तो जरूरी सावधानी का भी ख्याल रखें। आतिशबाजी के बाद नाक, मुंह व आँख को कदापि न छुएं और अच्छी तरह से साबुन-पानी से हाथ को धुलें।
अस्पतालों को भी किया गया अलर्ट
दीपावली पर अस्पतालों को भी अलर्ट किया गया है कि आतिशबाजी से किसी भी तरह की दुर्घटना होती है तो अस्पताल पहुँचने वालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए जरूरी इंतजाम पहले से कर लिए जाएँ। आकस्मिक सेवाओं को भी सुचारू बनाए रखें क्योंकि हर साल दीपावली पर आतिशबाजी के कारण आग लगने की घटनाएँ आम हैं, इसके अलावा सांस या अन्य तकलीफ वाले लोग भी बढ़ जाते हैं।
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